अतीक-अशरफ मर्डर केस में 10 नए खुलासे: पुरी में मिली गुड्डू मुस्लिम की लोकेशन, पहचाना गया उमेश पाल की फोटो असद को देने वाला

10 new revelations in Atiq-Ashraf murder: Guddu Muslim's location found

लखनऊ। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में जांच तेज हो गई है। गुरुवार को कॉल्विन अस्पताल स्थित घटनास्थल पर क्राइम सीन को दोहराया गया। इस दौरान जांच टीम ने कई सवालों का जवाब जानने की कोशिश की। उधर, तीनों हत्यारों से पूछताछ भी जारी है। इस मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि हत्याकांड के बाद से अब तक इस मामले में क्या-क्या खुलासे हो चुके हैं? 

1. पुरी में मिली गुड्डू मुस्लिम की लोकेशन
उमेश हत्याकांड में पांच लाख के इनामी वांटेड गुड्डू मुस्लिम की लोकेशन उड़ीसा के पुरी में मिली है। एक टीम को पुरी के लिए रवाना कर दिया गया है। गुड्डू मुस्लिम लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है। इससे पहले उसकी लोकेशन महाराष्ट्र के नासिक में मिली थी। पुलिस का कहना है कि गुड्डू बेहद शातिर है। वह कई घटनाओं में कई बार फरार रह चुका है। वह मोबाइल फोन का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं कर रहा है।

छह मार्च को गुड्डू, अतीक के रिश्तेदार अखलाक के घर मेरठ पहुंचा था। यहां पर 17 घंटे रहा। अखलाक से एक लाख रुपये लेकर वह वहां से निकल गया था। बाद में उसकी लोकेशन अजमेर में मिली थी। इसके बाद उसने झांसी में सतीश पांडेय के घर को अपना ठिकाना बनाया था। यहां से निकलकर वह सीधा नासिक चला गया। अब पता चल रहा है कि वह उड़ीसा के पुरी इलाके में है। इस सूचना पर पुलिस की एक टीम पुरी के लिए रवाना हो गई है।

गुड्डू मुस्लिम का घर अतीक के घर के पास ही है। वह बचपन से ही बम बनाने का एक्सपर्ट था। धीरे धीरे वह इतना माहिर हो गया था कि चलते-चलते बम बना देता था। उसे असलहों से ज्यादा बम पर विश्वास था। इसीलिए जब उमेश की हत्या के लिए असद सबको स्वचालित असलहे दे रहा था तो गुड्डू ने बम से भरा झोला पसंद किया। उसने बम से ही तहलका मचा दिया था। सिपाही राघवेंद्र को उसने पीछे से बम मारा था, जो सिपाही की मौत का कारण बना।

2. जेल से अतीक ने पांच राज्यों में फैलाया 1500 करोड़ का कारोबार
माफिया अतीक अहमद ने साबरमती जेल में रहने के दौरान गुजरात समेत पांच राज्यों में करीब 1500 करोड़ रुपये संपत्तियों में निवेश किए थे। उसकी संपत्तियां गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और मुंबई में होने के पुख्ता प्रमाण पुलिस को मिले हैं। उमेश पाल की हत्या के बाद जब अतीक पर पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हुआ तो उसके पार्टनरों ने भी किनारा करना शुरू कर दिया।

साबरमती जेल में बंद रह चुके दो सगे भाई जीतू और केतन के साथ अतीक ने जमीन के कारोबार में पार्टनरशिप की थी। साबरमती निवासी जीतू और केतन का गुजरात में जमीन समेत अन्य कारोबार में भी खासा वर्चस्व है। जेल में रहने के दौरान दोनों भाइयों की मुलाकात अतीक से हुई थी।

इसके अलावा अहमदाबाद निवासी नजीर बोरा और उसके बेटे अली रजा के साथ भी अतीक ने कई धंधों में पार्टनरशिप की थी। नजीर बोरा भी अतीक के साथ साबरमती जेल में बंद रह चुका है। दरअसल, जब प्रयागराज में अतीक की संपत्तियों पर बुलडोजर चलना शुरू हुआ तो उसने अपराध से कमाई गई दौलत को गुजरात में निवेश करना शुरू कर दिया।

3. बुरे दिन शुरू होते ही धोखा देने लगे पार्टनर
यूपी सरकार के माफिया के खिलाफ जारी अभियान की जद में अतीक अहमद गैंग आया तो राजस्थान और गुजरात के उसके पार्टनर भी धोखा देने लगे। उमेश पाल हत्याकांड के बाद तो सबने अतीक का फोन उठाना भी बंद कर दिया। अतीक और अशरफ की मौत के बाद पुलिस अतीक के इन पार्टनरों की भूमिका की जांच भी कर रही है। इस फेहरिस्त में मध्य प्रदेश के पन्ना का हीरा खदान मालिक भी है जिससे बीते कुछ दिनों के दौरान अतीक से अदावत की जानकारी पुलिस को मिली है।

4. सिर्फ अतीक और अशरफ की हत्या के लिए एक हुए थे तीनों शूटर 
अतीक-अशरफ हत्याकांड के शूटरों को लेकर वारदात के बाद से ही तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी क्रम में एक सवाल यह उठ रहा है कि क्या तीनों शूटर केवल इसी हत्याकांड के लिए एक हुए। इसकी वजह यह है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले शूटर लवलेश की फ्रेंड लिस्ट में अन्य दोनों शूटरों सनी सिंह व अरुण कुमार मौर्य का नाम नहीं है।

बांदा निवासी लवलेश फेसबुक पर ‘महाराज लवलेश तिवारी(चूचू)’ के नाम से आईडी बना रखी है। बृहस्पतिवार तक उसकी प्रोफाइल में पर 1467 लोगों का नाम शामिल था। खास बात यह है कि इनमें अतीक-अशरफ हत्याकांड में उसके साथ शामिल सनी और अरुण का नाम शामिल नहीं है। तीनों के कनेक्शन को लेकर पहले ही सवाल खड़े हो रहे हैं। अब फेसबुक पर आपस में न जुड़े होने से तीनों को लेकर यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या वह केवल इसी हत्याकांड के लिए एक साथ हुए।

5. दिल्ली के कुख्यात गोगी गैंग से मिले थे असलहे 
अतीक-अशरफ हत्याकांड में कस्टडी रिमांड पर लिए गए तीनों शूटरों से पूछताछ में एक अहम बात सामने आई है। पता चला है कि हत्याकांड में जिन असलहों का इस्तेमाल किया गया, वह दिल्ली के कुख्यात जितेंद्र गोगी गैंग से शूटरों को मिले थे। यह खुलासा हमीरपुर के शूटर सनी सिंह से पूछताछ में हुआ है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इस खुलासे में कितनी सच्चाई है, यह विस्तृत पूछताछ के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

सूत्रों का कहना है कि कस्टडी रिमांड के दौरान शूटर सनी सिंह ने बताया है कि दो साल पहले वह दिल्ली गया था। वहां उसकी मुलाकात गोगी गैंग के एक कारिंदे से हुई। जिसने उसे अपने सरगना जीतेंद्र गोगी से मिलाया। वहां जीतेंद्र के कहने पर सनी ने छोटे-मोटे काम भी किए। इसी के बाद उसका इस गैंग के बाकी सदस्यों से उसका संपर्क हो गया।

6. रिमांड से तीन दिन पहले कातिलों ने एनसीआर न्यूज के नाम पर बुना था जाल : कॉल्विन हॉस्पिटल के गेट पर माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ के कातिलों ने जिस एनसीआर न्यूज पोर्टल की आईडी का इस्तेमाल किया था, उसके लिए तीन दिन पहले ही रिपोर्टर की भर्ती शुरू होने की जानकारी मिली है। अतीक-अशरफ की 13 अप्रैल को रिमांड से पहले एनसीआर न्यूज पोर्टल संचालकों ने शहर के कई छुटभैया पोर्टलों से जुड़े युवकों से संपर्क भी किया था। फोन करने-कराने वालों में दिल्ली की एक महिला और लखनऊ में तैनात सिपाही शामिल है। पुलिस जल्द इनसे पूछताछ कर सकती है।

7. असद को उमेश पाल की फोटो भेजने वाला भी पहचाना गया: उमेश पाल हत्याकांड में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस हत्याकांड की साजिश में माफिया अतीक अहमद का करीबी खान सौलत हनीफ भी शामिल था। इसका खुलासा असद के मोबाइल फोन की जांच से हुआ है। पुलिस ने खान सौलत हनीफ को भी उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी बना दिया है।

खान सौलत हनीफ प्रीतम नगर का रहने वाला है जो मौजूदा समय में केंद्रीय कारागार नैनी में बंद है। 28 मार्च को उमेश पाल अपहरण कांड में दोषी करार दिए जाने के बाद उसे गिरफ्तार कर नैनी जेल भेजा गया था। एनकाउंटर में मारे गए असद के मोबाइल फोन की जांच की गई तो पता चला कि इस खौफनाक साजिश में अतीक अहमद, अशरफ, शाइस्ता परवीन व अन्य लोगों के साथ ही खान सौलत भी शामिल था। 19 फरवरी यानी उमेश की हत्या से पांच दिन पहले उसने असद को मोबाइल पर उमेश पाल की तस्वीर भेजी थी।

8. नाबालिग निकला अरुण मौर्य : अतीक-अशरफ की हत्या के आरोपी अरुण मौर्य की उम्र कम बताई जा रही है। कासगंज के गांव कादरबाड़ी के राशन डीलर सुल्तान सिंह की मानें तो राशन कार्ड मां केला देवी के नाम से जारी हुआ है। अरुण मौर्य का जन्म भले ही पानीपत, हरियाणा में हुआ हो लेकिन उसका नाम कादरबाड़ी में राशन कार्ड में लंबे समय से है। राशन कार्ड में अरुण मौर्य की जन्मतिथि एक जनवरी 2006 अंकित है। इसके अनुसार अरुण की उम्र 17 वर्ष और तीन महीने है। राशन कार्ड में अरुण के आधार नंबर का भी जिक्र किया गया है। 

9. कछारी इलाकों में छिपी हो सकती है शाइस्ता : अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश में गुरुवार को भी कौशांबी के कछारी इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। पुलिस का कहना है कि अलग-अलग सूत्र शाइस्ता के कछारी इलाकों में छिपे होने की बात बता रहे हैं। इसी कारण पुलिस ने अपना पूरा ध्यान कछारी इलाकों में केंद्रित कर दिया है।

अतीक और अशरफ की हत्या और असद के एनकाउंटर के बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता ही उमेश पाल हत्याकांड में मोस्ट वांटेड है। पुलिस का कहना है कि अतीक के जेल में रहने के दौरान शाइस्ता ने ही गिरोह की कमान संभाली थी। उमेश पाल की हत्या की पूरी साजिश शाइस्ता के ही नेतृत्व में रची गई थी। पुलिस शाइस्ता की खोज में लगातार छापेमारी कर रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाइस्ता कहीं बाहर नहीं भागी है।

उनके तमाम करीबियों को पकड़ा गया। उनसे पूछताछ में यही पता चला है कि वह कछारी इलाके में छिपी है। वह बार बार अपना ठिकाना बदल रही है। बुधवार और बृहस्पतिवार को धूमनगंज, कैंट और पूरामुफ्ती के कछारी इलाकों में ड्रोन कैमरे से खोजबीन की गई। बृहस्पतिवार को करीब डेढ़ सौ घरों में शाइस्ता की खोजबीन की गई। महिला पुलिस भी टीम के साथ रही। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि शाइस्ता के साथ तीन और महिलाएं हैं जिनमें अतीक की बहन आयशा नूरी भी शामिल है।

10. पाकिस्तान से जुड़े तार
अतीक और अशरफ की हत्या में तीन अलग-अलग पिस्टल का प्रयोग हुआ। इसमें एक 30 पिस्टल (7.62) स्वदेशी, दूसरा 9 एमएम पिस्टल गिरसान (तुर्किये में बनी), और तीसरा 9 एमएम पिस्टल जिगाना (तुर्कीये) शामिल है। इनकी कीमत 4 से सात लाख रुपये तक की है। जिगाना पिस्टल भारत में बैन है। इसे पाकिस्तान के रास्ते भारत में सप्लाई किया जाता है। ऐसे में इस हत्याकांड के तार अब पाकिस्तान तक जुड़ चुके हैं।