भिलाई: कथा के छठवें दिन उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, देखें Video; पं. प्रदीप मिश्रा बोले- ‘सब कुछ छूट जाए लेकिन कभी सनातन धर्म नहीं छूटना चाहिए’

( निखिल कुमार पाठक, भिलाई )

भिलाई नगर। रात भर की तेज़ बारिश के बावजूद एकांतेश्वर महादेव कथा के छठवें दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। शनिवार रात्रि से ही लगातार बारिश और तेज़ हवाएँ चल रही थी और रविवार का दिन होने की वजह से श्रद्धालु एक दिन पहले से ही पंडाल में जमा होने लगे थे। सुबह तक पूरा पंडाल शिवभक्तों से भर चुका था। मौसम की स्थिति और भक्तों की भारी भीड़ के मद्देनजर पंडित प्रदीप मिश्रा ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट कर श्रद्धालुओं से घर पर ही कथा श्रवण करने का संदेश दिया लेकिन इन सबके बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नही हुआ और पूरी सड़कें श्रद्धालुओं से पटी रहीं।

कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्र ने दुकानदार एवं व्यापार का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार हम कोई बहुमूल्य वस्तु खरीदने जाते हैं तो उसके जानकर को साथ लेकर जाते हैं, जिससे हम उच्चतम गुणवत्ता की सही चीज खरीद सके। जिस प्रकार अच्छी बहुमूल्य वस्तु दिलाने में उस व्यक्ति की भूमिका होती हैं, उसी प्रकार संत, साधु और गुरु भी परमात्मा रूपी हीरे को प्राप्त करने में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए गुरु का साथ कभी छोड़ना नहीं चाहिए सदैव गुरु के ज्ञान की छत्रछाया में रहना चाहिए।

कथा में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री हुए सम्मिलित

शिवमहापुराण की आज की कथा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और पूर्व मंत्री वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल भी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर दोनों ने कथा के आयोजक श्रीराम जन्मोत्सव समिति के संरक्षक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय, जीवन आनंद फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद सिंह, और युवा विंग के अध्यक्ष मनीष पांडेय के साथ कथा श्रवण कर महादेव की आरती की।

अनुशासनहीन घर में दुशासन पैदा होता है

वर्तमान परिवेश की समस्या को रेखांकित करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आजकल परिवार में, समाज में अनुशासन की कमी हैं। नवयुवक को आजकल घर का ज्ञान और घर का भोजन अच्छा नहीं लगता हैं। घर के बड़े बुजुर्ग जब उन्हें मंदिर जाने और शिवजी पर जल अर्पित करने के किये कहते हैं तो वे इसका उपहास उड़ाते हैं। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और अनुशासन की सीख अवश्य देना चाहिए। पंडित मिश्रा ने आगे कहा कि जो परिवार अनुशासन में रहता हैं वहां दुशासन पैदा नहीं होता हैं। जिस गांव में पानी की कमी होती हैं वहाँ की फसल ख़राब हो जाती हैं और जिस घर मे संस्कार की कमी होती हैं उनकी नस्ले बिगड़ जाती हैं। बड़ों को आदर छोटे को प्यार और नारी का सम्मान ये सनातन संस्कृति का व्यवहार हैं। पंडित जी ने कहा कि बच्चों को माता-पिता, माता-पिता को पूर्वजों के अनुशासन में रहना चाहिए। अनुशासन युक्त परिवार के निर्माण के लिए हफ्ते में एक दिन परिवार ले साथ भोजन और भजन अवश्य करना चाहिए।

सन्यासी की मति और गृहस्थ की श्रीमती बैकुंठ का मार्ग है

अपनी कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सन्यासी की मति और गृहस्थी की श्रीमती दोनों का सही होना जरूरी हैं। सन्यासी की मति उसे भगवान के पास बैकुंठ ले जा सकती हैं और गृहस्थी की श्रीमती घर को ही बैकुंठ बना सकती हैं। अगर घर की नारी गुणवान और सभी को साथ लेकर चलने वाली हैं तो घर ही बैकुंठ बन जाता हैं।

धर्मान्तरण पर किया प्रहार

छतीसगढ़ की ज्वलन्त समस्या धर्मांतरण पर पंडित जी ने अपनी कथा में प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आजकल के लोग लालच और प्रलोभन में आकर सनातन धर्म छोड़कर दूसरे धर्मों में जा रहे हैं। कोई भी आता हैं एक फ्री की किताब पकड़ा देता हैं, फ्री में दुख, दर्द, बीमारी दूर करने का लालच दे देता हैं और भोले भाले लोगों को बहलाकर उनका धर्म परिवर्तन करा दिया जाता हैं। ऐसे धर्म परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए घर में बच्चों को अच्छी परवरिश और अच्छे संस्कार दें। उन्होंने सभी से आव्हान किया चाहे धन, दौलत, गाड़ी, बंगला सब कुछ छूट जाए लेकिन कभी सनातन धर्म नहीं छूटना चाहिए। सनातन धर्म एवं संस्कृति भारत का गौरव हैं। जब तक घर की माता भजन से नही जुड़ेंगी तब तक उनकी संतान संस्कारयुक्त नहीं होंगे। इस दौरान उन्होंने एक महिला का पत्र पढ़ा जिसमे उन्होंने लिखा था कि वो सनातन धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म में चली गई थी। लेकिन जसे लोग वहां गलत नज़र से देखते थे उसे एहसास हुआ कि उसका वहां आदर नही हैं। उसने शिवमहापुराण कथा का श्रवण प्रारम्भ किया और पुनः सनातन धर्म में वापसी की।

एकांत में महादेव की आराधना से होता हैं गुणवान संतान की प्राप्ति

एकांतेश्वर महादेव की छठवें दिवस की कथा में पंडित जी ने बताया कि एकांत में शिव की आराधना से गुणवान संतान की प्राप्ति होती है। मैना, धन्या, कला नाम की तीन महिलाओं ने एकांत में महादेव की आराधना की थी जिसके फल स्वरूप उनके यहां माँ पार्वती, माँ जानकी और माँ राधा का जन्म हुआ। एकांत में शिव पूजन करने का अर्थ हैं किसी एकांत स्थान में दिखावे से दूर होकर देवाधिदेव महादेव की आराधना करना। अपने 14 वर्ष के वनवास काल मे प्रभु श्रीराम ने भी एकांत में शिवलिंग बनाकर महादेव की आराधना की थी।

आज हमने भगवान को मनोरंजन का केंद्र बना रखा है

अपनी कथा में पंडित जी ने कहा- आज हमने भगवान की भक्ति को मनोरंजन का केंद्र बना रखा है। एक व्यक्ति घर में सुंदरकांड का पाठ करा रहे थे उन्होंने पंडित जी को फ़ोन करके कहा ऐसा पाठ कराइयेगा की सबको मज़ा आ जाए। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में पंडित जी ने कहा कि सुंदर कांड का पाठ हनुमान जी के चरित्र के दर्शन के लिए हनुमान जी के व्यवहार से सीखने के लिए है। सुंदरकांड और धार्मिक कथा मज़ा लेने का विषय नही हैं मोक्ष का विषय है।

पशुपति व्रत से प्राप्त हुआ संतान सुख

सेक्टर एक भिलाईनगर की निवासी स्वर्णलता चौरसिया ने पत्र के माध्यम से बताया कि उनके बेटे की शादी को कई वर्ष हो गए थे किंतु संतान सुख नहीं था। डॉक्टर से उपचार कराया पर कोई परिणाम नही निकला। टीवी पर शिव कथा सुनकर उनके बेटे और बहू दोनों ने पशुपति व्रत किया और भोलेनाथ की कृपा से उनके यहां दो बच्चों ने जन्म हुआ। एक अन्य श्रद्धालु दुर्ग निवासी मीता तिवारी ने पत्र में लिखा था वो दो वर्ष से कथा का श्रवण कर रही थी। छोटी बहन ने उन्हें पशुपति व्रत करने की विधि बताई। उन्होंने व्रत प्रारम्भ किया और दूसरे सोमवार को ही खुशखबरी मिली उनके बेटे की स्कूल में नौकरी लग गयी।

भिलाइवासियों ने दिखाया सेवा भाव का अर्थ

पंडित जी ने एक श्रद्धालु के पत्र का उल्लेख करते हुए बताया कि भिलाईवासियों ने सेवा के अर्थ को चरितार्थ किया है। इस कथा के आयोजन के अवसर पर भिलाई के सेठ और सामाजिक संस्थाओं ने इतना भोजन कराया कि खाने वाले कम पड़ गए। हर व्यक्ति अपनी तरह से श्रद्धालुओं की सेवा में लगा है। कोई भोजन दे रहा हैं तो कोई चाय, शर्बत, बारिश से बचने के लिए पन्नी दे रहा हैं। पंडित जी ने भिलाईवासियों की उदारता और सेवा भाव की भूरी भूरी प्रशंसा की।