कोरबाः गणेश सेवा समाज के तत्वावधान में 18 को पादुका पूजन, गजानन साईं मंदिर बुधवारी बाजार में होगा कार्यक्रम

कोरबा। महाराष्ट्र के मिरज मठ से छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास स्वामी जी एवं उनकी शिष्या पूजनीया वेणा स्वामी की पादुकाएं छत्तीसगढ़ की यात्रा पर हैं । इसी तारतम्य में दुर्ग भिलाई रायपुर बिलासपुर में भव्य पूजन के पश्चात पश्चात पादुका रथ आज 17 तारीख को कोरबा पहुँचा। गणेश सेवा समाज कोरबा के तत्वावधान में गजानन साईं मंदिर बुधवारी बाजार में 18 मार्च शनिवार को प्रातः 9 से 12 के बीच पादुका पूजन होगा जिसमें महाराष्ट्र मंडल एवं मराठा समाज के 12 परिवारों द्वारा पादुकाओं का पूजन होगा । कार्यक्रम प्रभारी गणेश सेवा समाज के सचिव सुनील पाठक ने बताया कि दोपहर पश्चात पादुका रथ मिरज की ओर रवाना हो जाएगा ।

ज्ञातव्य है कि सनातन संघर्ष समिति कोरबा के तत्वावधान में आज 17 मार्च को हरदी बाजार , गेवरा ,दर्री जमनीपाली और कोरबा में हिंदू समाज के लोगों ने भव्य समारोह आयोजित किया जा रहा है।

समर्थ गुरु रामदास स्वामी जी का जन्म  24 मार्च 1608 को हुआ । उस दिन चैत्र शुक्ल नवमी अर्थात रामनवमी का पुण्य दिवस था । राम और वीर हनुमान के भक्त , अद्वैत वेदांती और भक्ति मार्ग के संत समर्थ रामदास स्वामी जी ने देश भर में 1100 मठ –  अखाड़े और 600 से अधिक मंदिरों की स्थापना की थी । ऐसा कहा जाता है कि वे प्रतिदिन 1200 सूर्य नमस्कार किया करते थे अतः उनका शरीर बड़ा बलिष्ठ था । एक बार उन्होंने *जय जय रघुवीर समर्थ* इस मंत्र का 13 लाख बार जाप जल में खड़े होकर किया था । इसके अतिरिक्त गुरु समर्थ रामदास स्वामी जी ने अनेक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साहित्य *मन को साधने वाले मनाचे श्लोक , दासबोध , भीमरूपी स्तोत्र , श्री गणेश व शंकर भगवान की  आरतियों* की मराठी भाषा में रचना आपने की ।

 सन् 1955 में श्रावण शुक्ल अष्टमी को महाराष्ट्र के मिरज शहर में रामदासी मठ की आपने स्थापना की और शिष्या संत वेणा स्वामी को मठपति के रूप में नियुक्त किया । संत वेणा स्वामी जी स्वयं श्रेष्ठ कीर्तनकार थीं , श्री गागा भट्ट जैसे श्रेष्ठ विद्वान उनका कीर्तन सुनने के लिए आते थे । समर्थ रामदास स्वामी ने इस मठ में गौमाता के गोबर में सप्तधान्य मिलाकर पवन पुत्र हनुमान जी की मूर्ति बनाई और इस मूर्ति में हनुमान जी की आंख के रूप में नीलमणि को रखकर इस भव्य-दिव्य मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की । मुगलों द्वारा हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचार से हिंदू समाज को मुक्त करने हेतु इन अखाड़ों और मंदिरों की स्थापना समर्थ रामदास स्वामी ने की थी । साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज को हिंदू पद पादशाही स्थापित करने का मार्गदर्शन भी दिया । छत्तीसगढ़ में इस यात्रा की प्रभारी श्रीमती अनुपमा सिंतरकर दुर्ग ने बताया कि *हिंदू समाज के पुनर्जागरण और मिरज मठ का जीर्णोद्धार* के उद्देश्य से यह चरण पादुका यात्रा संपूर्ण देश भर में संपन्न हो रही है ।