दादा और पिता का 100 साल पुराना डेथ सर्टिफिकेट लेने इंग्लैंड से शिमला पहुंचा ब्रिटिश कपल, कब्र देख हुआ भावुक

नईदिल्ली : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला ऐतिहासिक घटनाओं की पूरी किताब है। इसके एक एक पन्ने में अपनी एक अलग कहानी छुपी हुई है। राजधानी शिमला के समय ब्रिटिश शासन काल में समर कैपिटल थी। इस दौरान के शासकों का रिकॉर्ड आज भी शिमला में मिलता है। जिस वजह से अपने पूर्वजों का रिकॉर्ड लेने के लिए इंग्लैंड से बहुत से लोग शिमला पहुंचते हैं। ऐसी एक दंपति इंग्लैंड से शिमला पहुंचा।

​दंपति इंग्लैंड से अपने पूर्वजों की कब्र तलाशते हुए शिमला पहुंचे थे। क्योंकि शिमला में अंग्रेजों के जन्म और मृत्यु के बारे में पूरा रिकॉर्ड नगर निगम शिमला के पास उपलब्ध है। इतिहासकार सुमित ने बताया कि साल 2005 में उन्होंने शिमला वॉक्स की शुरुआत की थी। जिसके जरिए दूसरे देशों से आने वाले लोगों को शिमला में उनके परिवार को खोजने में भी मदद मिलती है।

दादा की कब्र देख इंग्लैंड से पहुंचा दंपति हुआ भावुक

अपने पूर्वजों का रिकॉर्ड लेने के लिए इंग्लैंड से बहुत से लोग शिमला पहुंचते हैं। ऐसा ही एक दंपति इंग्लैंड से शिमला पहुंचा। जिन्होंने अपने दादा का जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र और पिता का जन्म प्रमाण पत्र शिमला नगर निगम से हासिल किया। इंग्लैंड से पहुंची ये दंपति साइमन और सेली हैं। इस दंपति को प्रमाण पत्र हासिल कर पाने के लिए शिमला के इतिहासकार सुमित राज वशिष्ट ने मदद की। यहीं नहीं सुमित राज साइमन और सैली को संजौली की उस कब्रगाह में भी ले गए जहां पर साइमन के दादा को दफनाया गया था। इस दौरान साइमन अपने दादा की कब्र देखकर भावुक हो गए।

विलियम लिटरस्टर नगर निगम शिमला में शासक के पद पर तैनात थे। उनका निधन 27 नवंबर 1930 को हुआ जिसके बाद उन्हें संजौली की कब्रगाह में दफनाया गया था। वहीं साइमन के पिता सिरिल बीट का जन्म 2 जुलाई 1916 को शिमला में हुआ था। यहां पर सेशन जज के पद पर तैनात थे।

शिमला के इतिहासकार सुमित राज विशिष्ट ने की मदद

शिमला के इतिहासकार सुमित राज विशिष्ट ने ही इस दंपति को नगर निगम शिमला की स्वास्थ्य शाखा से रिकॉर्ड निकलवाने में मदद की। इस रिकॉर्ड के मुताबिक ही सारी जानकारी सामने निकल कर आई है । रिपोर्ट मिलने के बाद नगर निगम कर्मचारियों ने दंपति को प्रमाण पत्र जारी कर दिए।

पूर्वजों की कब्र तलाशते हुए शिमला पहुंचे

इतिहासकार सुमित राज्य विशेष ने जानकारी देते हुए बताया कि यह दंपति इंग्लैंड से अपने पूर्वजों की कब्र तलाशते हुए शिमला पहुंचे थे। क्योंकि शिमला में अंग्रेजों के जन्म और मृत्यु के बारे में पूरा रिकॉर्ड नगर निगम शिमला के पास उपलब्ध है। सुमित ने बताया कि साल 2005 में उन्होंने शिमला वॉक्स सुमित राज की शुरुआत की थी। जिसके जरिए दूसरे देशों से आने वाले लोगों को शिमला में उनके परिवार को खोजने में भी मदद मिलती है। राजधानी शिमला में मार्च और अप्रैल के महीने में काफी ज्यादा विदेशी पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं और इस दौरान सुमित इन पर्यटकों को उनके पूर्वजों के बारे में जानकारी मुहैया करवाने में पूरी मदद करते हैं।