अपने नेताओं को विवादित मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचने के लिए कहेगा संघ, इस बयान पर घिर गया था आरएसएस

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समालखा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने पदाधिकारियों को विवादित मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचने के लिए कह सकता है। हरियाणा के समालखा में आयोजित होने वाली संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक (12-14 मार्च) में समसामयिक मुद्दों पर चर्चा के दौरान यह विषय उठ सकता है और इससे संबंधित निर्देश संगठन पदाधिकारियों को दिए जा सकते हैं। पिछले दिनों संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल के पाकिस्तान को गेहूं भेजने के बयान पर विवाद हो गया था।

आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि डॉ. कृष्ण गोपाल का मत अनुचित नहीं था। भारत के समग्र दर्शन को ध्यान में रखें तो हम सदैव ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘विश्व कल्याण’ की बात करते आए हैं। ऐसे में डॉ. कृष्ण गोपाल का वह बयान, जिसमें महंगे आटे के कारण भूख से तड़पते पड़ोसी की मदद करने की बात कही गई थी, किसी तरह से अनुचित नहीं था।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया यूजर्स की बात पढ़कर यह लगता है कि उन्हें लग रहा था कि संघ ने पाकिस्तान का बचाव किया है, जबकि डॉ. कृष्ण गोपाल की पूरी बात सुनने से यह समझ में आ जाता है कि उन्होंने अपने उसी बयान में पाकिस्तान पर बार-बार बिना कारण के भारत पर आक्रमण करने की बात कही है। उन्होंने पाकिस्तान पर भारत से बिना कारण दुश्मनी निभाने का मुद्दा भी उठाया है। लेकिन आज के सोशल मीडिया के दौर में जहां पूरी बात को समझे बिना आक्रामक टिप्पणी करने का प्रचलन बढ़ रहा है, इस तरह की बयानबाजी से बचना ही बेहतर है।

दिल्ली में हुई बैठक

संघ नेता के इस बयान के बाद मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली में संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों की एक बैठक हुई थी। इसमें डॉ. कृष्ण गोपाल के बयान पर चर्चा की गई थी, जिसमें उनके साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख नेता इंद्रेश कुमार भी उपस्थित थे। बैठक में सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद गैर जरूरी मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचने के लिए भी कहा गया था।

क्या कहा था डॉ. कृष्ण गोपाल ने

फरवरी के अंतिम सप्ताह में फिल्म प्रोड्यूसर इकबाल दुर्रानी के दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संघ सह कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा था कि पाकिस्तान हमेशा हमसे झगड़ा करता है, लेकिन आज जब वह महंगे आटे के कारण भूख से परेशान है, भारत को 10-20 लाख टन गेहूं पाकिस्तान को भेज देना चाहिए। विशेषकर यह देखते हुए कि हमारे पास सरप्लस गेहूं उपलब्ध है। आखिर 70 साल देश विभाजन के पहले वे हमारे ही लोग थे। उन्होंने इस बात पर कष्ट भी जताया था कि अकारण की दुश्मनी के कारण पाकिस्तान न तो कोई सामान भेजता है और न ही कोई सामान मंगवाता है।    

सोशल मीडिया पर नाराजगी क्यों

फेसबुक-ट्विटर पर आरएसएस नेता डॉ. कृष्ण गोपाल के बयान की काफी आलोचना की गई थी। राष्ट्रवादी विचारधारा के सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा था कि इसके पहले संघ सरकार्यवाह मोहन भागवत मुस्लिम समुदाय के प्रति बार-बार नरम टिप्पणी कर रहे थे। उनके एक मुस्लिम धर्मगुरु से मिलने पर भी कई टिप्पणियां की गई थीं। इन यूजर्स का मानना था कि ये राष्ट्र मदद करने के बाद भी भारत से दुश्मनी का भाव नहीं छोड़ते हैं, ऐसे में भारत को उनकी मदद क्यों करनी चाहिए।

किन मुद्दों पर चर्चा संभव

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आरएसएस की सर्वोच्च निर्णयकारी संस्था है। प्रतिवर्ष मार्च के महीने में होने वाली इस वार्षिक बैठक में आरएसएस के पिछले वर्ष में किए गए कार्यों की समीक्षा की जाती है। साथ ही समसामयिक मुद्दों की चर्चा कर उससे संबंधित प्रस्ताव पास किए जाते हैं। इनमें अगले वर्ष किए जाने वाले कार्यों-लक्ष्यों का भी वर्णन होता है।

इस बैठक में संघ के सभी 35 प्रमुख अनुषांगिक संगठनों के राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल होते हैं। इस तरह इस बैठक में लगभग 1400 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग लेते हैं। बैठक के अंतिम दिवस पर सरसंघचालक मोहन भागवत संगठन के पदाधिकारियों को संबोधित करते हैं। पिछले वर्ष अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में (11-13 मार्च 2022) हुई थी।

इस वर्ष अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में 16 मार्च तक संगठन के विभिन्न स्तर के पदाधिकारियों की बैठकें आयोजित की जाएंगी। वरिष्ठ नेता 6 मार्च को ही समालखा पहुंच गए हैं। जहां लगातार बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। 12-14 मार्च को प्रमुख बैठक होगी जिसमें 1400 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसके बाद की बैठकों में संगठन के आंतरिक विभागों और उनके कार्यों पर वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में चर्चा होगी।

राजनीतिक चर्चा भी

बैठक में परिवार प्रबोधिनी, पर्यावरण में समाज के माध्यम से संगठन की भूमिका, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी और संबंधित प्रस्ताव पास किए जाएंगे। इस वर्ष त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में आदिवासी मतदाताओं के बीच आरएसएस के बेहतरीन कार्यों के कारण भाजपा को जीत मिली है। इसी वर्ष आने वाले समय में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव होने हैं। जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव होने की संभावना है। आरएसएस की इस महत्त्वपूर्ण बैठक में इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।