Hindenburg Row: हिंडनबर्ग मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जनहित याचिका में शॉर्ट सेलर के खिलाफ कार्रवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस जनहित याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक शॉर्ट सेलर्स नाथन एंडरसन के साथ ही उनकी भारतीय संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है। जानकारी के मुताबिक, अधिवक्ता एमएल शर्मा ने यह याचिका दाखिल की है। 

अपनी याचिका में अधिवक्ता एमएल शर्मा ने याचिका में लाखों निर्दोष निवेशकों का शोषण करने और उन्हें ठगने के लिए एंडरसन और उनके सहयोगियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की है। साथ ही उन निवेशकों के लिए मुआवजे की भी मांग की गई है, जिन्हें शेयर की कीमत में गिरावट के कारण नुकसान उठाना पड़ा।

जानकारी के मुताबिक, याचिका में आईपीसी की धारा 420 और 120-बी (भारतीय दंड संहिता) के तहत धारा 15HA सेबी अधिनियम के साथ शॉर्ट सेलर्स (एंडरसन और भारत / यूएसए में उनके सहयोगियों) के खिलाफ मुकदमा चलाने और प्राथमिकी  दर्ज करने की जांच की मांग की गई है। याचिका में यह आरोप भी लगाया गया कि एंडरसन और उनकी भारतीय संस्थाओं ने एक आपराधिक साजिश रची और उसके बाद 25 जनवरी, 2023 को उन्होंने शोध रिपोर्ट के रूप में एक मनगढ़ंत खबर जारी की, जो अदाणी समूह की कंपनियों के लिए नुकसानदायक थी। याचिका में दलील दी गई है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद जब शेयर बाजार में गिरावट आई तो उन्होंने सबसे कम दर पर अपनी शॉर्ट सेल की स्थिति को बेहतर कर लिया।  

याचिका के अनुसार, शॉर्ट सेलर्स नाथन एंडरसन ने भारत के कई नागरिकों को धोखा देकर अरबों का मुनाफा हासिल किया है। याचिकाकर्ता ने शॉर्ट सेलिंग को धोखाधड़ी का अपराध घोषित करने और निवेशकों पर आईपीसी की धारा 420 और सेबी अधिनियम 1992 की धारा 15HA के तहत मुकदमा चलाने का भी आग्रह किया है।  

साथ ही याचिकाकर्ता ने संवैधानिक सवाल भी उठाए हैं, जिन पर फैसला किए जाने की जरूरत है। याचिकाकर्ता की तरफ से सवाल यह था कि क्या सेबी निवेशकों की सुरक्षा के लिए शॉर्ट सेलिंग स्टॉक में ट्रेडिंग को निलंबित करने के लिए बाध्य नहीं है?   

कौन हैं नाथन एंडरसन?
नाथन एंडरसन हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक हैं। उनके द्वारा पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसके कारण अदाणी समूह की फर्मों की संपत्ति में भारी गिरावट आई है।