छत्तीसगढ़ः एक परिवार, जिनके आंगन में रोज फहरता है तिरंगा, हर सुबह गूंजती है राष्ट्रगान की धुन

बिलासपुर में तिरंगा छत पर फहराने के लिए लेकर जाते श्रीवास्तव दंपति।

बिलासपुर। पूरा देश गणतंत्र दिवस के उत्सव में डूबा हुआ है। इस 74वें महोत्सव में हर ओर देशभक्ति की धुन और गीत गूंज रहे हैं। इन सबके बीच छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक परिवार ऐसा भी है, जिसके आंगन में रोज तिरंगा शान से लहराता है। यहां सुबह आरती की धुन और घंटियों की गूंज से पहले राष्ट्रगान के स्वरों से होती है। यह परिवार है आईटीआई के रिटायर्ड अधिकारी केके श्रीवास्तव का। अखंड राष्ट्रीयता के संदेश ने जिनके परिवार को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और OMG में नाम दर्ज करा दिया। 

घर की छत पर तिरंगा फहराते श्रीवास्तव दंपति।

घर की छत पर तिरंगा फहराते श्रीवास्तव दंपति।

21 सालों से अनवरत जारी है सिलसिला 
शहर के नेहरू नगर में रहने वाले केके श्रीवास्तव के घर पर तिरंगा फहराने की परंपरा को साल 2002 में शुरू हुई, जो आज भी जारी है। इन 21 सालों में उनके घर में कोई मेहमान आता तो उसे भी सबसे पहले नियम के तहत राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देना जरूरी होता है। परिवार के मुखिया केके श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके बचपन में स्वतंत्रता दिवस के दिन वह स्कूल में तिरंगे की छांव में खड़े थे। इस दौरान एक शिक्षक ने उन्हें वहां खड़ा होने से मना किया। नहीं मानने पर धक्का देकर हटा दिया। 

केके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी।

केके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी।

बचपन में हुए बर्ताव से मिली प्रेरणा 
केके श्रीवास्तव कहते हैं कि यह बात उनको बहुत बुरी लगी, लेकिन छोटे होने के कारण कुछ कर नहीं सके। फिर मन में ठान लिया कि एक दिन खुद ही तिरंगा फहराएंगे और अपने परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। समय ऐसे ही बीत गया। शादी के बाद उन्होंने अपनी यह इच्छा पत्नी से बताई तो उन्होंने भी साथ देने का वादा किया। इसके बाद सिलसिला चल पड़ा। पिता के आदर्शों को घर के भी हर सदस्य ने अपना लिया। अब घर में हर दिन तिरंगा शान से फहराया जाता है। 

श्रीवास्तव परिवार को अलग-अलग सम्मान से सम्मानित किया गया है।

श्रीवास्तव परिवार को अलग-अलग सम्मान से सम्मानित किया गया है।

हर घर में शान से लहराए तिरंगा, बस यही मकसद 
साल 2002 के बाद से सरकार ने घर या ऑफिस में नियम पूर्वक तिरंगा फहराने की अनुमति दी। तभी से उन्होंने भी इसकी शुरुआत अपने घर की छत से की। ऐसा करने के पीछे का मकसद लोगों को अपने देश के प्रति और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सचेत करना हैं। वे चाहते हैं, कि अपना राष्ट्रीय ध्वज हर घर में शान से लहराता रहे।। इससे उन्हें खुशी होगी साथ ही उनके बच्चे भी उन्हें इस काम में आगे आने के लिए प्रेरित करते रहते हैं । श्रीवास्तव परिवार की आज एक अलग पहचान बन गई है।

जब श्रीवास्तव परिवार ने पहली बार तिरंगा फहराया था।

जब श्रीवास्तव परिवार ने पहली बार तिरंगा फहराया था।

आसपास के लोग भी उनकी इस परंपरा से जुड़ रहे 
श्रीवास्तव परिवार के इस कर्मयोग को देख अब आसपास के लोग भी धीरे-धीरे इस परंपरा का हिस्सा बनने लगे हैं। घर में राष्ट्रगान के स्वर गूंजते ही उनके आसपास रहने वालों के जीवन में भी कुछ पलों के लिए मानो स्थिरता आ जाती है। वे देशभक्ति के भाव से ओत-प्रोत होकर यहां तिरंगा लहराने सहज पहुंच जाते हैं । केके श्रीवास्तव की देशभक्ति का मक़सद सिर्फ़ एक ही है कि हर किसी के मन में देश भक्ति की भावना जागे और हर घर तिरंगा यूंही शान से लहराता रहे ।