छत्तीसगढ़ः 26 जनवरी को ‘तिरंगा ट्रैक्टर रैली’ निकालेंगे किसान, MSP गारंटी कानून के लिए नए आंदोलन का आगाज

रायपुर। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाली कानून की मांग को लेकर नये किसान आंदोलन का आगाज हो रहा है। छत्तीसगढ़ के किसान 26 जनवरी को तिरंगा ट्रैक्टर रैली निकालने जा रहे हैं। इसके लिए नवा रायपुर और राजिम में बड़े स्तर पर तैयारी जारी है। किसानों का कहना था, एक साल तक चले दिल्ली धरने की यह भी प्रमुख मांग थी, केंद्र सरकार ने आश्वासन देने के बाद भी इसपर कोई कदम नहीं उठाया है।

नवा रायपुर के किसानों की योजना NRDA क्षेत्र में ट्रैक्टर रैली निकालने की है। यह रैली कयाबांधा से सुबह 9 बजे से प्रस्तावित है। इसके लिए सभी गांवों से किसानों को ट्रैक्टर लेकर पहुंचने की बात हो रही है। राजिम में यह रैली कृषि उपज मंडी से निकलेगी। ट्रेक्टर लेकर किसान पूरे राजिम कस्बे के प्रमुख मार्गों से गुजरेंगे। उसके बाद एक जनसभा में न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून की मांग पर बात होगी। यह रैली दिल्ली के संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रही है। इसमें प्रदेश के दो दर्जन से अधिक संगठन शामिल हैं। कई दूसरे जिलों में भी इस तरह के प्रदर्शन की तैयारी है।

राजिम में तैयारियों पर चर्चा करते किसान प्रतिनिधि।

राजिम में तैयारियों पर चर्चा करते किसान प्रतिनिधि।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के तेजराम विद्रोही ने कहा, कोई भी कंपनी अपने तैयार माल को बाजार में बेचने के लिए एक अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित करती है जिसे एमआरपी कहते हैं। इसमें उपभोक्ताओं को लगने वाला टैक्स भी शामिल रहता है। जिस मूल्य पर वस्तु बेचकर कंपनी अपना मुनाफा कमाता है और साथ ही साथ बेचने वाले को भी उनका लाभ मिल जाता है। वहीं किसान जब फसल उगाता है तो उसे उसका मूल्य तय करने का अधिकार नहीं होता। जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य खुद सरकार तय करती है वह दाम भी किसानों को नहीं मिलता। इसका एक समाधान है किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिले। यानी निर्धारित मूल्य से कम कीमत कहीं भी न मिल सके।

समर्थन मूल्य भी लागत का डेढ़ गुना हो

किसान नेताओं का कहना है, किसानों को अब कर्जमाफी का झुनझुना नहीं चाहिए, किसानों को पूर्ण कर्ज मुक्ति चाहिए। यह तभी संभव होगा जब किसानों को बारहों महीने उनकी सभी फसलों – धान, गेंहू, सब्जी, दूध, फल आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उत्पादन लागत से डेढ़ गुणा अधिक हो तभी किसानों को लाभ होगा।