छत्तीसगढ़ः अफसरों-नेताओं का नाम लेने का दबाव बना रही ED, अदालत पहुंचा ज्यादती का मामला, निखिल चंद्राकर ने कहा-दस्तावेजों पर बिना पढ़ाए करा लिए हस्ताक्षर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय-ED पर ज्यादती का एक आरोप अदालत पहुंच गया है। रायपुर के निखिल चंद्राकर ने 16 जनवरी को इससे जुड़ा एक आवेदन PMLA मामलों के विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में पेश किया है। इसमें कहा गया है कि ED उस पर अफसरों-नेताओं का नाम लेने का दबाव बना रही है।

निखिल चंद्राकर की ओर से अधिवक्ता सोएब अल्वी ने यह मामला अदालत के सामने पेश किया है। इस आवेदन में कहा गया है, ED के अधिकारियों ने उसे 23 दिसम्बर 2022 को उसे घर से बिना कोई नोटिस दिए उठा लिया। रात भर उससे क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हुए उसे एक लॉकअप में 24 घण्टों से भी अधिक समय तक रखा गया। 24 दिसम्बर को उसकी तबीयत खराब होने के बाद भी एजेंसी के अफसरों-कर्मचारियों ने उसका इलाज नहीं कराया। खाना भी नहीं दिया और न ही छोड़ा गया।

24 घंटों से अधिक समय से होने के बाद में ED उसे लेकर अदालत नहीं पहुंची तो उसके पिता ने न्यायालय में एक आवेदन लगाकर अवैध तरीके से हिरासत में रखने की शिकायत की। उसके बाद ED के अधिकारियों ने निखिल से जबर्दस्ती उसके पिता को फोन करवाया। उनसे यह कहवाया गया कि अगर वो अपना आवेदन वापस नहीं लेते तो निखिल को भी केस में आरोपी बना दिया जाएगा। निखिल के पिता ने घबराकर अदालत में दिया आवेदन वापस ले लिया।

अपने आवेदन में निखिल ने यह भी बताया है कि ED के अधिकारियों ने उसे सौम्या चौरसिया, रानू साहू जैसे अधिकारियों, कई व्यापारियों और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के खिलाफ पैसों की लेनदेन तथा घोटाले के बारे में बयान देने का दबाव बनाया है। जब निखिल ने ऐसा बयान देने से मना किया तो उसे डराया गया कि अगर उसने उनके कहे मुताबिक बयान नहीं दिया तो उसे भी इस केस में आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में आईएएस समीर को भी गिरफ्तार किया है।

ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में आईएएस समीर को भी गिरफ्तार किया है।

रात-रात भर सोने नहीं दिया, हाथ मरोड़ा

निखिल चंद्राकर का कहना है, जब उन्होंने अफसरों-नेताओं को रुपए देने और घोटाले में शामिल होने जैसी बात से इन्कार किया तो ED के अफसर नाराज हो गये। वह वॉशरूम में थे तब ED के एक कर्मचारी ने वहां घुसकर उनके साथ मारपीट की। उनका हाथ पकड़कर मरोड़ दिया। इसकी वजह से उनको काफी तकलीफ हुई। बाद में वे लोग पूरे समय रिसेप्शन पर बिठाकर रखते थे। सोने नहीं देते थे।

पहले से टाइपशुदा कागजों पर हस्ताक्षर करा लिये

आवेदन में कहा गया है, निखिल को अवैध रूप से अपनी हिरासत में रखे जाने के दौरान ED के अधिकारियों ने जबरन टाइपशुदा दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए हैं। उसपर क्या लिखा है, उसे निखिल को पढ़ने भी नहीं दिया गया। निखिल चंद्राकार ने बताया है कि वह पांच जनवरी और 14 जनवरी को तेलीबांधा थाने में इसकी लिखित शिकायत कर चुका है। पुलिस ने कोई मदद नहीं की, ऐसे में वह न्यायालय के पास आया है।

ED का दावा-निखिल से बरामद हुई है लेनदेन की डायरी

निखिल चंद्राकर रायपुर का कारोबारी है। रायपुर की अदालत में 9 दिसम्बर को पेश ED की चार्जशीट में भी निखिल चंद्राकर का नाम है। आरोपपत्र के मुताबिक निखिल चंद्राकर के खम्हारडीह के वीआइपी करिश्मा स्थित किराये के एक फ्लैट से हस्तलिखित डायरी और लूज पेपर बरामद हुए हैं। इनमें अवैध लेनदेन का विवरण दर्ज है। ED का दावा है कि निखिल चंद्राकर को 24 अक्टूबर 2022 को समन जारी किया गया था। लेकिन वह हाजिर नहीं हुआ।

11 अक्टूबर से शुरू हुई कार्रवाई अब भी जारी

प्रवर्तन निदेशालय-ED ने 11 अक्टूबर को प्रदेश के कई अफसरों और कारोबारियों के 75 ठिकानों पर छापा मारा था। प्रारंभिक जांच और पूछताछ के बाद 13 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स के तत्कालीन CEO समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और वकील-कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तारी हुई थी। उनको 14 दिन की पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। 29 अक्टूबर को इस मामले में आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने अदालत में समर्पण कर दिया। 10 दिन की पूछताछ के बाद सूर्यकांत को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। बाद में मुख्यमंत्री सचिवालय की एक अफसर सौम्या चौरसिया को भी गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के बाद इन्हें भी जेल भेज दिया गया। दूसरे लोगों से पूछताछ अब भी जारी है।