छत्तीसगढ़: नक्सलियों पर हवाई हमला, क्या CRPF कोबरा की जगह उतरे NSG कमांडो, किस फोर्स के हैं घायल जवान ?

Naxal Attack- CRPF Cobra force Commandos

जगदलपुर। बीजापुर-सुकमा-तेलंगाना सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया है। इसी के तहत 11 जनवरी को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जबरदस्त फायरिंग हुई। इसमें छह जवानों के घायल होने की बात सामने आई। हालांकि सीआरपीएफ ने अपने बयान में कहा, हेलीकॉप्टर से उतरते वक्त कोबरा व नक्सलियों के बीच फायरिंग हुई थी। इसमें कोई घायल नहीं हुआ और नक्सलियों को खदेड़ दिया गया। सूत्रों का कहना है कि इस इलाके में एनएसजी कमांडो उतारे गए थे। इस बाबत दूसरे सुरक्षा बलों को भरोसे में नहीं लिया गया। अब यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि आखिर किस बल के छह कमांडो घायल हुए हैं।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने 12 जनवरी को जारी अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, सुरक्षा बलों की हवाई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ऑपरेशन को पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) ने विफल कर दिया है। खेत खलिहानों में हेलीकॉप्टरों के जरिए सैकड़ों बम गिरा दिए गए। एयर सर्जिकल स्ट्राइक में एनएसजी कमांडो फोर्स का इस्तेमाल किया गया है। पीएलजीए ने सुरक्षा बलों के छह कमांडो घायल करने का दावा किया था।

नक्सली, भागने पर मजबूर हो गए थे: सीआरपीएफ

सीआरपीएफ के छत्तीसगढ़ सेक्टर के आईजी कार्यालय द्वारा जो बयान जारी किया गया था, उसमें हवाई हमले की बात नहीं थी। उसमें कहा गया कि बीजापुर-सुकमा-तेलंगाना सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है। 11 जनवरी को सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन की एक टुकड़ी, हेलीकॉप्टर द्वारा फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस पर भेजी जा रही थी। जब हेलीकॉप्टर से यह टुकड़ी उतर रही थी, तो कोबरा और नक्सलियों के बीच फायरिंग हुई। नक्सली, भागने पर मजबूर हो गए। कोबरा बटालियन की टुकड़ी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। कोबरा, एक विशेष फोर्स है, जिसे राष्ट्र विरोधी तत्वों से निपटने में सीख हासिल है। वह बल, नक्सलियों से निपटने में पूर्णत: निपुण है।

हवाई सिस्टम की मदद से गिराए सैंकड़ों बम

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने 12 जनवरी को जारी अपने प्रेस वक्तव्य में कहा है कि केंद्र के निर्देशन पर बनाया हुआ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ऑपरेशन को हमारे पीएलजीए ने विफल कर दिया है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने सुकमा-बीजापुर सरहद इलाके में की गई हवाई बमबारी की कड़ी निंदा की है। दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने अपने बयान में कहा है कि 11 जनवरी को बीजापुर के सरहदी इलाके में एर्राम, मेट्टागुड़ा और बोट्टेतोंग गांवों के खेत खलिहानों में हवाई सिस्टम की मदद से सैकड़ों बम गिरा दिए गए। हेलीकॉप्टर से फायरिंग की गई। बयान में कहा गया है कि इस सर्जिकल स्ट्राइक में वायु सेना और एनएसजी कमांडोज का इस्तेमाल किया गया है। इस हमले में पीएलजीए ने सुरक्षा बलों के छह कमांडो घायल कर दिए। इस दौरान पीएलजीए सदस्य पोट्टाम हुंगी मारी गई। इस ऑपरेशन में एनएसजी कमांडो शामिल थे या नहीं, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दे रहा है।

कामरेड बटालियन कमांडर ‘हिड़माल’ सुरक्षित

दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने लिखा है कि मीडिया में ऐसा प्रचार हो रहा है कि बटालियन कमांडर मारा गया है। यह झूठा प्रचार है। कामरेड बटालियन कमांडर हिड़माल सुरक्षित है। हवाई बमबारी, सुबह 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक चलती रही। बस्तर संभाग में अप्रैल 2021 में भी हवाई बमबारी हुई थी। इसके बाद अप्रैल 2022 में दूसरा हवाई हमला किया गया। अब जनवरी में यह तीसरा हवाई हमला है। पहले भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एनएसजी को तैनात करने की बात कही गई है। सबसे पहले 2005 में एनएसजी को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उतारने की बात शुरू हुई थी। उस वक्त बिहार के जहानाबाद में स्थित जेल और पुलिस बैरक पर, नक्सली हमले हो रहे थे। तत्कालीन ‘विशेष सचिव आंतरिक सुरक्षा’ आशीष मित्रा के हवाले से कहा गया था कि पहली बार एनएसजी को एंटी नक्सल अभियान में उतारा जा सकता है। उस वक्त छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजी रहे ओपी राठौर ने भी कहा था कि एनएसजी के आने से नक्सली हिंसा से लड़ने में मदद मिलेगी। मित्रा, एनएसजी के डीजी भी रहे हैं।

चार साल पहले भी एनएसजी कमांडो की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। उन तस्वीरों में छत्तीसगढ़ के कांकेर स्थित काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर (सीटीजेडब्ल्यू) कॉलेज में एनएसजी कमांडो, ट्रेनिंग ले रहे थे। 2018 में एनएसजी डीजी आरसी तायल ने कहा था, बल को नित्य नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीकी और रणनीति, दोनों मोर्चों पर उन्नत करने की निरंतर आवश्यकता है।  

कमांडर हिड़माल को खत्म करने के उतारे थे कमांडो

सूत्रों का कहना है कि अभी तक नक्सलियों के खात्मे में सबसे बड़ा योगदान कोबरा कमांडो का है। यह विश्व स्तरीय एलीट फोर्स है, जो जंगल वारफेयर में पारंगत है। इस फोर्स ने नक्सलियों के गढ़ में जाकर उन्हें खदेड़ा है। इस बात को समय-समय पर केंद्र सरकार ने भी माना है। अब नक्सलियों के सफाए के लिए एनएसजी कमांडो को उतारा जा रहा है। नक्सली कमांडर हिड़माल को खत्म करने के लिए एनएसजी के विशेष प्रशिक्षित दस्ते को एयर ड्रॉप किया गया है। सूत्र बताते हैं कि नक्सलियों ने अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों से फायरिंग कर दी थी। उसमें कई कमांडो के घायल होने की खबर आई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए था, नक्सली घटनाओं में तेजी से कमी आ रही है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि 2024 के आम चुनाव से पहले देश, नक्सलवाद से मुक्त हो जाए। नक्सलवाद अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। 2009 में नक्सलवाद की 2,258 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2021 में उनकी संख्या घटकर 509 रह गई है। जिन क्षेत्रों में युवा हथियार उठाते थे, आज वहां रोजगार के साधन बढ़ाए गए हैं। इस साल के शुरू में भी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने नक्सल विरोधी बल, ग्रेहाउंड्स के साथ प्रशिक्षण शुरू किया था। जंगल युद्ध में ग्रेहाउंड्स, सबसे अच्छी तरह से माहिर हैं। यह ट्रेंनिंग हैदराबाद के एक प्रतिबंधित क्षेत्र में देने की बात कही गई थी। एनएसजी ने इसे एक नियमित प्रशिक्षण बताया था।