छत्तीसगढ़ः बहस की खुली चुनौती पर पलटवार, सुशील आनंद बोले- मरकाम से डिबेट के लायक नहीं हैं ओपी चौधरी

सांकेतिक तस्वीर

रायपुर। नौकरशाह से बीजेपी नेता बने ओपी चौधरी की ओर से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को दी गई बहस की खुली चुनौती पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष से बहस के लायक उनका कद नहीं है। वे किसी कांग्रेस प्रवक्ता से बहस कर लें, उनको हकीकत का पता चल जाएगा। 

ओपी चौधरी को बहस में आने के पहले अपने आका रमन सिंह से पूछकर आना चाहिए कि गरीबों के राशन में हुए 36000 करोड़ के नान घोटाले में क्या बोलना है? नान डायरी वाली सीएम मैडम कौन हैं? पनामा पेपर वाले अभिषाक सिंह कौन हैं? गरीबों के अस्पताल डीकेएस में घोटाला कैसे हो गया? अगस्ता हेलीकाप्टर घोटाला इन सबके बारे में भी जानकारी लेकर आयें। चौधरी यह भी पूछकर आयें कि उन्होंने किसानों, आदिवासियों से धोखा वायदाखिलाफी क्यों किया था? किसानों को बार-बार 300 बोनस देने का वायदा कर क्यों नहीं दिया था? 2100 धान की कीमत पर धोखा क्यों दिया था? रमन राज में झीरम का क्रूर हत्याकांड हुआ, उसकी जांच भाजपा क्यों नहीं होने दे रही? झलियामारी, नसबंदी, गर्भाशय कांड पर भी जानकारी लेकर आयें क्योंकि 15 साल बनाम 5 साल के डिबेट में इन पर भी बहस होगी। 

90 प्रतिशत वायदों को पूरा किया 
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के पास बताने के लिए अपने सरकार के गौरवशाली जनहित के काम हैं। हमारी सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र के 90 प्रतिशत वायदों को पूरा किया है। छत्तीसगढ़ में भाजपा मुद्दविहीन है। इसके विपरीत कांग्रेस के पास अपनी सरकार के 4 सालों के काम की लंबी फेहरिस्त है। जनता, कांग्रेस सरकार बनाम भाजपा के 15 साल की तुलना कर रही है। भाजपा ने 2003 में आदिवासियों को 10 लीटर दूध वाली गाय देने का वायदा किया था, हर आदिवासी परिवार से एक को सरकारी नौकरी का वायदा किया था, पूरा नहीं किया।  

आदिवासियों से किए वादों को पूरा किया
कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों से किये वादों को पूरा किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने चार साल में आदिवासी वर्ग के शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के एवं कानूनी अधिकार के लिये अनेकों कार्य किया। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी के वर्ग शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया। रमन सरकार के दौरान दस गांवों के 1707 आदिवासी परिवार से छीनी गई 4200 एकड़ जमीन को लौटाई गई, जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को जेल से मुक्त कराया गया। 

तेंदूपत्ता की मानक दर बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा  
शुक्ला ने कहा कि तेंदूपत्ता की मानक दर 2500 रु से बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा की गई, 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी की गई, चरणपादुका खरीदने नगद राशि दी गई, बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया। 24827 व्यक्तिगत 20,000 से अधिक सामुदायिक व 2200 वन संसाधन पट्टे वितरित किए गए, 16 लाख से अधिक हेक्टर भूमि आदिवासी वर्ग को वितरित किया गया है। 4,38,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किया गया।