छत्तीसगढ़ःकिसानों ने मांगी MSP की कानूनी गारंटी, संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन, राजभवन तक मार्च कर की नारेबाजी

किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के सचिवालय को मांगपत्र सौंपा है। - Dainik Bhaskar

रायपुर। किसानों ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य-MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने का संकेत दिया है। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से संबद्ध संगठनों ने रायपुर में प्रदर्शन किया। किसानों ने घड़ी चौक से राजभवन तक मार्च कर नारेबाजी की।

राजभवन पहुंचे किसानों ने राज्यपाल के सचिवालय को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को संबोधित एक मांगपत्र भी सौंपा। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के तेजराम विद्रोही ने बताया, यह पिछले साल दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के दौरान की बात है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी में अपने छह लंबित मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को एक पत्र भेजा।

इसमें उन्होंने सरकार की ओर से आश्वासन दिया और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया था। सरकार की उस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमा पर लगे मोर्चों को हटा लिया। आज एक साल होने को आ गए और केंद्र सरकार ने किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया है। राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर हमने आग्रह किया है, केंद्र सरकार अपने वादे के मुताबिक किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाये। प्रदर्शन करने वालों में जनकलाल ठाकुर, पारसनाथ साहू, हेमंत कुमार टंडन, मदन लाल साहू, नरोत्तम शर्मा, गैंद सिंह ठाकुर, नवाब जिलानी, प्रवीण श्योकंड आदि शामिल थे।

किसानों ने डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

किसानों ने डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

किसानों ने यह मांगें भेजी हैं

  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी-2+ 50% के फार्मूला से MSP की गारंटी का कानून बनाया जाए। केन्द्र सरकार ने MSPपर जो समिति बनाई है वह और उसका घोषित एजेंडा दोनों किसान संगठनों की मांग के खिलाफ है। इस समिति को रद्द कर, MSP पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए, किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ नई समिति का गठन किया जाए।
  • खेती में बढ़ रही लागत और फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण 80% से अधिक किसान भारी कर्ज में फंस गए हैं। ऐसे में, सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं।
  • बिजली संशोधन विधेयक- 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि, “मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।” इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने बिना कोई विमर्श के यह विधेयक संसद में पेश किया।
  • लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए। वहीं उस मामले में जो निर्दाेष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं।
  • सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे।
  • सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पांच हजार रुपए प्रति महीने की किसान पेंशन दिया जाए।
  • किसान आन्दोलन के दौरान भाजपा शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर जो फर्जी मुकदमे दर्ज किये गये हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए।
  • किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। शहीद किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।

सरकार को आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी

किसान संगठनों ने अपने मांगपत्र के साथ यह भी साफ कर दिया है कि वे इस मामले को लेकर शांत नहीं बैठने वाले। संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को संबोधित कर कहा है कि वे केंद्र सरकार को किसानों से किया वादा याद दिलाएं। अगर सरकार वादाखिलाफी करती है तो किसानों के पास आंदोलन को तेज करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।