छत्तीसगढ़ः सिंधी समुदाय की मांग, प्रदेश में चेट्रीचंड्र पर दिया जाए सार्वजनिक अवकाश, SCOI ने सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

प्रदेश में चेट्रीचंड्र पर दिया जाए सार्वजनिक अवकाश, SCOI ने सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन|रायपुर,Raipur - Dainik Bhaskar

रायपुर। छत्तीसगढ़ में चेट्रीचंड्र के मौके पर सार्वजनिक अवकाश की मांग उठी है। प्रदेश के सिंधी कॉन्सिल ऑफ इंडिया (SCOI) की छत्तीसगढ़ इकाई ने इसे लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। समाज के लोगों ने CM भूपेश बघेल को पत्र भेजकर इस दिन छुट्‌टी घोषित किए जाने की मांग रखी है। 

इसे लेकर काउंसिल के प्रदेश प्रमुख ललित जयसिंघ ने सिंधी अकादमी के अध्यक्ष राम गिडलानी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि सिंधी समाज का सबसे बड़ा पर्व झूलेलाल जी की जयंती है। साल में एक बार बड़े स्तर पर इस त्योहार के दिन कार्यक्रम आयोजित होते हैं। काउंसिल ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि इस दिन छुट्‌टी दिए जाने के साथ मांस- मदिरा की दुकानें बंद रखने की प्रशासनिक व्यवस्था भी की जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में रवि ग्वालानी,सुनील वाधवा,नितीन कृष्णानी समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। 

 - Dainik Bhaskar

भगवान झूलेलाल की है जयंती 
मार्च 2023 में चेट्रीचंड्र पर्व मनाया जाएगा। ये दिन झूलेलाल जयंती का होता है। यह एक सिंधी उत्सव है जो पूरे विश्व में सिंधी समुदाय के लोग मनाते हैं। ये चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। चैत्र के महीने को सिंध में चेत के रूप में जाना जाता है और चंद्रमा को चंदू कहा जाता है। इसी से मिलकर चेट्रीचंड्र शब्द निकला है। 

यूपी में घोषित हो चुकी है छुट्‌टी 
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने नयी छुट्टियों में सिंधी समाज के ईष्टदेव वरुण अवतार भगवान झूलेलाल जयंती पर छुट्टी घोषित कर दी है। लखनऊ में इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आभार का कार्यक्रम भी सिंधी समाज के लोगों ने आयोजित किया। यही वजह है कि प्रदेश के सिंधी समाज के लोगों में अब इस मांग के पूरा होने को लेकर उम्मीद जगी है। 

प्रदेश में 16 लाख से अधिक सिंधी 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत लगभग हर शहर में सिंधी समुदाय के लोग रहते हैं। समाज के जानकारों के मुताबिक प्रदेश में इनकी संख्या करीब 16 लाख है। 

रायपुर में 315 साल पुराना तीर्थ
माना स्थित शदाणी दरबार छत्तीसगढ़ में मौजूद सिंधियों का एक ऐसा तीर्थ है जहां देशभर से भक्त आते हैं। इस दरबार के बारे में अमित चिमनानी ने बताया, दरबार में 315 साल पुरानी गद्दी है, जिस पर पीठाधीश्वर ही बैठते हैं। यह शहर का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां सनातन धर्म के लगभग सभी ऋषि-मुनियों और देवी-देवातओं के चित्र हैं। यही नहीं, देवी-देवताओं के वाहनों के चित्र भी यहां देख सकते हैं। इसी कैंपस में स्कूल और हॉस्पिटल भी संचालित है।

अमित ने बताया, अविभाजित भारत में यह दरबार पहले सिंध प्रांत में था। बंटवारे में सिंध प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। उस समय दरबार के आठवें पीठाधीश्वर सद्‌गुरु संत गोविंद राम साहिब 1969 में रायपुर आए और पंडरी के पास 4 हजार स्क्वेयर फीट में दरबार बनवाया। यहां भक्तों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए संत गोविंद राम साहिब ने 1988 में माना में 12 एकड़ में शदाणी दरबार बनवाया। इसका आकार गोमुखी है।