छत्तीसगढ़ः नंदी देव भक्तों के हाथ से पी रहे पानी?,मंदिर में जुटे श्रद्धालु; 27 साल पहले देशभर में गणेश जी ने पीया था दूध 

बालोद। जिले के ग्राम साकरा जगन्नाथपुर स्थित हनुमान मंदिर परिसर में स्थित नंदी की प्रतिमा के जल पीने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसके बाद से मंदिर में भगवान नंदी को जल पिलाने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। सोमवार शाम को यहां नंदी ने जल पीना शुरू किया, जिससे वहां मौजूद भक्त भी हैरान रह गए। हालांकि कई लोगों ने इसे सिर्फ अफवाह बताया।

ग्राम साकरा में हनुमान मंदिर है, जिसके परिसर में भगवान शिव और नंदी भी हैं। पत्थर की नंदी की मूर्ति भक्तों के हाथों से जल ग्रहण कर रही है, ये बात जैसे ही लोगों को पता चली, वे भी मंदिर पहुंच गए और चम्मच से भगवान को जल पिलाया। हालांकि आज भगवान ने जल ग्रहण नहीं किया, फिर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ रही है। अफवाह फैल गई है कि कुछ ही देर के लिए सही, लेकिन प्रतिमा में स्वयं भगवान नंदी प्रकट हुए थे।

नंदी को जल पिलाते हुए लोग।

नंदी को जल पिलाते हुए लोग।

विज्ञान या अंधविश्वास?

सरपंच वारुणी देशमुख ने कहा कि उन्होंने भी भगवान नंदी को भक्तों के हाथों से जल पीते हुए देखा। उन्होंने कहा कि वे विज्ञान की बातें नहीं जानते, लेकिन इतना जानते हैं कि आस्था से कई चमत्कार होते हैं।

27 साल पहले जब मंदिरों में गणेशजी को दूध पिलाने उमड़ी थी भीड़

आज से करीब 27 साल पहले पूरे देश में गणेश जी के दूध पीने की खबर आग की तरह फैल गई थी। देशभर के मंदिरों में गणेशजी को दूध पिलाने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। लोग ग्लास में दूध लिए देर रात तक अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए थे। यहां तक कि कई नेता और गणमान्य लोग भी मंदिर में गणेश जी को दूध पिलाने के लिए पहुंचे थे।

पहले भी नंदी के दूध पीने की खबरें आ चुकी हैं सामने।

पहले भी नंदी के दूध पीने की खबरें आ चुकी हैं सामने।

1995 में 21 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन यह खबर फैली थी कि गणेश प्रतिमाएं दूध पी रही हैं। देखते ही देखते मंदिरों में भीड़ लग गई थी। सबसे बड़ी बात तो ये है कि गणेश प्रतिमाओं से दूध का चम्मच सटाते ही दूध खत्म हो जाता था। किसी को पता नहीं चल रहा था कि आखिर दूध कहां जा रहा है। वहीं श्रद्धालुओं को पूरा विश्वास था कि गणेश जी दूध पी रहे हैं। इसके बाद समय-समय पर दूसरे देवी-देवताओं के भी दूध पीने की खबरें आती रहीं।

नंदी को चम्मच से पानी पिलाते हुए भक्त।

नंदी को चम्मच से पानी पिलाते हुए भक्त।

हैरानी की बात तो ये रही कि 22 सितंबर 1995 को जब दूसरे देशों में यह खबर फैली गई, तो वहां रहने वाले भारतीयों ने भी गणेशजी को दूध पिलाकर देखा और वहां भी भगवान ने दूध पी लिया था। वैज्ञानिकों के लिए भी ये शोध का विषय था। बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी इस खबर की तह तक जाने के लिए जुट गए। वैज्ञानिकों ने बाद में निष्कर्ष के रूप में “मास हाइपनोसिस” या “साइको-मैकेनिक रिएक्शन” नाम की थ्योरी दे दी। हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि ऐसा पहले कभी क्यों नहीं हुआ और केवल 24 घंटे तक ही क्यों चला ?

1995 में देशभर में नंदी को पिलाया गया था दूध और पानी।

1995 में देशभर में नंदी को पिलाया गया था दूध और पानी।

इस साल मार्च में भी नंदी को दूध पिलाते देखे गए थे भक्त

इस साल मार्च के महीने में भी छत्तीसगढ़ में नंदी के दूध और पानी पीने की खबर तेजी से फैली थी। जिसके बाद उन्हें दूध-पानी पिलाने बड़ी संख्या में भक्त शिव मंदिरों में पहुंच गए थे। भिलाई, दुर्ग समेत प्रदेश के कई शहरों के शिवालयों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। लोगों ने नंदी को दूध पिलाते हुए वीडियो बनाकर भी शेयर किया था।

श्रद्धालुओं के चम्मच में पानी लेकर नंदी के मुख में रखने पर पानी खत्म हो जा रहा था। लोगों ने इसे आस्था से जोड़ा था। इस मौके पर शिवालयों में बाबा भोलेनाथ के जमकर जयकारे भी लगे थे और विशेष पूजा-अर्चना भी की गई थी। हालांकि कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इसे अंधविश्वास बताया था।

3 साल पहले भी ऐसी घटना आई थी सामने

3 साल पहले छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज में भी दुख हरेश्वर मंदिर में महिलाओं के नंदी की मूर्ति के दूध पिलाने की चर्चा के चलते मंदिर में खूब श्रद्धालु जुटे थे। लोगों ने दूर-दूर से आकर जेल पारा में भगवान शंकर के मंदिर में माथा टेक कर नंदी की मूर्ति को दूध पिलाया था। दुख हरेश्वर मंदिर में नंदी को दूध पिलाने के साथ रामायण पाठ व पूजा-अर्चना भी की गई थी।

इस तरह की घटना पहले भी हो चुकी है। कोई भी मूर्ति कुछ भी द्रव्य या पदार्थ ग्रहण नहीं करता है। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र के मुताबिक प्रतिमा में छोटे-छोटे छिद्र होते है, जिसके कारण वह पानी अवशोषण करता है। लोगों को लगता है कि मूर्ति पानी या अन्य द्रव्य पदार्थ ग्रहण कर रहे। इस तरह की घटना प्राकृतिक है। लोगों को अंधविश्वास पर नहीं पड़ना चाहिए।