छत्तीसगढ़ः आदिवासियों ने किया रायपुर-जगदलपुर हाइवे जाम, अरविंद नेताम ने भाजपा-कांग्रेस दोनों को ठहराया आरक्षण घटने का जिम्मेदार, अब विधानसभा घेराव की तैयारी 

अरविंद नेताम ने आरक्षण घटने का जिम्मेदार भाजपा-कांग्रेस दोनों को ठहराया, अब विधानसभा घेराव की तैयारी|रायपुर,Raipur - Dainik Bhaskar

रायपुर। सर्व आदिवासी समाज के प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को रायपुर जगदलपुर हाईवे जाम कर दिया। आरक्षण कटौती के मसले पर नाराज आदिवासी समाज का गुस्सा पूरे प्रदेश में देखने को मिला । इस विरोध प्रदर्शन को आर्थिक नाकेबंदी नाम दिया गया। रायपुर में भी ये विरोध प्रदर्शन किया गया।

धमतरी रोड पर प्रदर्शनकारियों ने बैठकर नारेबाजी की और अपने अधिकारों की मांग करने लगे । सुबह से ही सर्व आदिवासी समाज के नेताओं और प्रदेश भर से प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा इस सड़क पर लगना शुरू हो गया था । इस वजह से हाइवे जाम के हालात बने। सड़क पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों को पुलिस ने बड़ी मुश्किल से हटाया औरसड़क पर लगा जाम खुलवाया।

पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने में मशक्कत करनी पड़ी। - Dainik Bhaskar

पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने में मशक्कत करनी पड़ी।

सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने तय किया है कि अब आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ विधानसभा का घेराव करेंगे । दरअसल आरक्षण के मुद्दे पर ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है । समाज के लोगों ने कहा है कि आदिवासी समुदाय के हक में फैसला न लिए जाने की स्थिति में लाखों ग्रामीण रायपुर पहुंचेंगे और विधानसभा का घेराव भी करेंगे। 

अरविंद नेताम भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ बोले, इस वक्त वो खुद कांग्रेस पार्टी में नेता हैं। - Dainik Bhaskar

अरविंद नेताम भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ बोले, इस वक्त वो खुद कांग्रेस पार्टी में नेता हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भाजपा और कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ा 
सर्व आदिवासी समाज के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने इस मामले में बड़ा बयान दिया। मीडिया से चर्चा में उन्होंने आदिवासी आरक्षण कटौती के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार ठहराया । अरविंद नेताम ने अपने बयान में कहा कि साल 2003 में आरक्षण किस राज्य में कितना होगा इसका पूरा नियम केंद्र की तरफ से भेजा गया था। इसमें तय किया गया था कि शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब्स और अन्य वर्गों को कितना आरक्षण दिया जाएगा । 

नेताम ने बताया कि 2011 तक प्रदेश की भाजपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया। जब हमने आंदोलन किया जेल गए तब जाकर 2012 में इसे लागू किया गया । कुछ समय बाद ही मामला न्यायालय में चला गया इसके खिलाफ याचिकाएं लगाई गईं। वर्तमान समय में इस मामले की पैरवी अदालत में ईमानदारी से नहीं की गई, संवेदना नहीं दिखाई गई इस वजह से आज समाज परेशानी भुगत रहा है। आदिवासी समाज अपने आरक्षण, पेसा कानून के तहत जल जंगल जमीन पर अधिकार मांग रहा है। जब तक जनता को राहत नहीं मिलती समाज के लोग इसी तरह आंदोलन करते रहेंगे।

प्रदर्शनकारियों की तख्तियों में लिखे स्लोगन। - Dainik Bhaskar

प्रदर्शनकारियों की तख्तियों में लिखे स्लोगन।

अरविंद नेताम और कांग्रेस का रिश्ता 
अरविंद नेताम, इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि राज्य मंत्री रह चुके हैं। मालिक मकबुजा मामले में पहली बार 1996 में उन्हें कांग्रेस से निकाला गया था। 2012 में वे फिर पार्टी में आए। लेकिन तबके राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा का समर्थन करने की वजह से उन्हें फिर से निलंबित कर दिया गया। 2017 में उन्होंने भाजपा ने निकाले गए पूर्व सांसद सोहन पोटाई के साथ मिलकर आदिवासियों का आंदोलन खड़ा किया। एक राजनीतिक दल बनाया। चुनाव से ठीक पहले उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। सत्ता में आने के बाद भी अरविंद नेताम का रुख आदिवासी मुद्दों पर विपक्ष की तरह ही मुखर रहा है।

भूपेश बघेल ने कहा है 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाकर रहेंगे। - Dainik Bhaskar

भूपेश बघेल ने कहा है 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाकर रहेंगे।

आरक्षण पर क्या कहती है सरकार 
सरकारी विभागों में आरक्षण रोस्टर के मुताबिक काम हो रहा है या नहीं यह जांचने के लिए सरकार अलग प्रकोष्ठ-सेल का गठन करेगी। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों की शिकायत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने 32% आदिवासी आरक्षण को दोबारा बहाल करने के लिए हर संभव कदम उठाने का भरोसा भी दिलाया है। उच्च न्यायालय के फैसले की वजह से आरक्षण की व्यवस्था उलट गई है। छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को बुलाया गया है। इस दौरान आरक्षण पर चर्चा होगी। 

दोपहर तक ये प्रदर्शन चलता रहा। - Dainik Bhaskar

दोपहर तक ये प्रदर्शन चलता रहा।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी नाराजगी 
बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद विवाद उपजा। पहले जो व्यवस्था थी उसके तहत प्रदेश में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण विशेष वर्गों को मिलने लगा था, इसे असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया गया। इसी वजह से आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। इस लिए आदिवासी समाज इससे नाराज है।