Gujarat: चरणसिंह-जनसंघ की चाल चल रही कांग्रेस, एंटी ‘इनकम्बेंसी’ और ‘वोटकटवा’ के बीच दांव पर राहुल की यात्रा 

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनाव में ताल ठोक रही है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव ‘करो या मरो’ जैसा है। जो भी पार्टी गुजरात की सत्ता पर काबिज होगी, 2024 के लोकसभा चुनाव में उस दल के लिए संभावना बढ़ जाएंगी। ये चुनाव, कांग्रेस पार्टी के नव निर्वाचित गैर-गांधी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। ऐसी संभावना है कि चुनाव प्रचार से सोनिया गांधी और राहुल गांधी दूर ही रहें। वजह, सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य के चलते और राहुल गांधी, भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। 2017 के चुनाव में 77 सीटें लेकर जीत के करीब तक पहुंचने वाली कांग्रेस पार्टी क्या इस बार ‘एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर’ का फायदा उठा सकेगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ तभी सफल मानी जाएगी, जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करे। खरगे की सफलता भी काफी हद तक इन्हीं दोनों राज्यों के चुनाव पर टिकी है। कांग्रेस पार्टी ने गुजरात में वही चाल चली है जो चौ. चरणसिंह और जनसंघ के द्वारा 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ चली गई थी। 

दिल्ली और पंजाब में यह कहानी दोहरा चुकी है ‘आप’
बता दें कि गुजरात में अभी तक हुए विधानसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच में रहा है। अब पहली बार वहां पर आम आदमी पार्टी एक तीसरे दल के तौर पर सामने आई है। पार्टी का कितना जनाधार है, ये तो चुनावी नतीजे ही बता सकेंगे, लेकिन आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को उम्मीद है कि वे कुछ बड़ा कर सकते हैं। भाजपा को यह लगता है कि केजरीवाल का यहां मजबूत होना उसके लिए फायदेमंद है। यही वजह है कि मीडिया में कई बार आप को भाजपा की बी टीम कह दिया जाता है। पंजाब और दिल्ली इसका अपवाद है। भाजपा नेताओं का कहना है कि गुजरात, पीएम मोदी का अपना होम स्टेट है। इसका असर वहां के हर चुनाव पर देखने को मिला है। आरएसएस और भाजपा ने मिलकर वहां अपना कैडर वोट तैयार किया है। आप के बारे में माना जाता है कि वह जितने भी वोट लेगी, उसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को होगा। आप, दिल्ली और पंजाब में यह कहानी दोहरा चुकी है। 

गुजरात में सत्ता के खिलाफ माहौल, कांग्रेस को मिलेगा फायदा 
अरविंद केजरीवाल अपनी चुनावी रैलियों में कहते हैं, ये दोनों पार्टियां ‘कांग्रेस व भाजपा’ आपस में मिली हुई हैं। इनके झांसे में मत आना। हमारा सर्वे कहता है कि आम आदमी पार्टी, गुजरात में जीत के करीब है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भारत जोड़ो यात्रा में कहा, गुजरात में आम आदमी पार्टी जमीन पर नहीं, सिर्फ हवा में है। उन्होंने वहां पर कांग्रेस पार्टी के मजबूत होने का दावा किया है। ‘आप’ केवल विज्ञापन पर पैसा खर्च कर रही है। वहां सत्ता के खिलाफ माहौल है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। अगली सरकार कांग्रेस पार्टी की बनेगी। गुजरात चुनाव में उनकी जिम्मेदारी क्या होगी, इस सवाल के जवाब में राहुल ने कहा, ये सब बातें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तय करेंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव भाजपा को 99 और कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थी। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कहा है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का असर गुजरात और हिमाचल, दोनों जगहों पर है। 

चुनाव में किसी के गले में तो ये सांप डलता ही है
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं, गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने इस बार अनूठी रणनीति बनाई है। भाजपा चाहती थी कि यह चुनाव लोकसभा इलेक्शन की तरह मोदी बनाम राहुल बन जाए। कांग्रेस ने कम से कम भाजपा की यह रणनीति तो फेल कर दी है। राहुल गांधी, इस चुनाव से पूरी तरह बाहर रह सकते हैं। कांग्रेस पार्टी ने राज्य इकाई को ही बड़ी जिम्मेदारी दी है। प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और दूसरे नेता पार्टी का चुनाव प्रचार करेंगे। हर चुनाव का अपना एक अलग अंदाज होता है। कुछ जगहों पर कांग्रेस को ‘एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर’ का फायदा संभावित है। ये चुनाव विपक्ष का टेस्ट है। वोट कटवा पार्टी, वैसे तो कोई भी दल खुद पर यह दाग नहीं लगवाना चाहता, लेकिन चुनाव में किसी के गले में तो ये सांप डलता ही है। कांग्रेस पार्टी, अपनी रणनीति में सफल होती है तो वह ऐसा कुछ कर सकती है जैसे सत्तर के दशक में भारतीय लोक दल के चौ. चरणसिंह और जनसंघ ने इंदिरा गांधी के खिलाफ ग्रामीण क्षेत्र में किया था। इन दोनों को ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस करने का फायदा भी मिला। 

क्या भाजपा सौ सीट के आसपास पहुंचने की तैयारी में है
बतौर रशीद किदवई, हिमाचल में आप सक्रिय नहीं है। उनका अपना कोई राजनीतिक आकलन रहा होगा। गुजरात में आप बहुत ज्यादा सक्रिय है। वोट प्रतिशत में सेंध लग सकती है। गुजरात में पचास सीटें ऐसी रही हैं जहां  भाजपा को सदैव कठिनाई का सामना करना पड़ा है। गत चुनाव में भी उसे आदिवासी क्षेत्र की दर्जनभर सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। मोरबी में पुल गिरने से जनता में आक्रोश है, लेकिन इसका पता चुनाव में लगेगा। यूपी के लखीमपुर में बवाल हुआ, लेकिन वह वोट के हिसाब से भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित नहीं हुआ। गुजरात में भाजपा के अंदरुनी सूत्र मानते हैं कि पार्टी भले ही सार्वजनिक मंच से 150 सीट हासिल करने का टारगेट रखे, लेकिन सौ सीट के आसपास पहुंचने की तैयारी है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे, दोनों के लिए ये चुनाव परीक्षा के समान है। अगर जीत मिली तो ही 2024 की राह प्रशस्त होगी। नतीजे, मन मुताबिक नहीं रहे तो पार्टी को दूरगामी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। राहुल की यात्रा भी दांव पर लग सकती है।