क्या है राहुल गांधी का 3 ‘P’ मंत्र?: जिसका गुजरात-हिमाचल में होगा ट्रायल, चला तो 2024 में कर सकते हैं उलटफेर 

राहुल गांधी

नई दिल्ली। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की आगामी चुनावी रणनीति की झलक भी देखने को मिल रही है। उनकी यात्रा के बीच ही कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो गया। गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस को क्या करना है, इस बाबत राहुल ने पहले ही खाका खींच दिया है। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के बीच ही 3 ‘P’ फार्मूला तैयार किया है। इस फार्मूले का ट्रायल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में होगा। ये ट्रायल सफल हुआ तो 2024 में बड़ा उलटफेर हो सकता है। राहुल के 3 ‘P’ का मतलब, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी और उन्हें समय पर पदोन्नति मिलेगी। 

राहुल बोले, ये तीनों मांगें अविलंब लागू कर दी जाएंगी …  
बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारों में कर्मचारी संगठनों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली को लेकर लंबे समय से आवाज उठाई जा रही है। इस बाबत धरना प्रदर्शन भी हो चुके हैं। कर्मचारी एसोसिएशन, तकरीबन हर चुनाव में उक्त तीनों बातों को मुद्दा बनाती रही हैं। कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है। अब जिन राज्यों में चुनाव प्रस्तावित हैं, वहां भी राहुल गांधी द्वारा यह वादा किया जा रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई कर्मचारी संगठन, इस मसले पर राहुल के साथ बातचीत कर रहे हैं। अब राहुल गांधी ने ‘थ्री पी’ का फार्मूला तैयार कर दिया है। पुरानी पेंशन बहाली के अलावा उन्होंने पक्की नौकरी और समय पर पदोन्नति देने का भरोसा दिलाया है। रविवार को गुजरात को लेकर उन्होंने कहा, अगर वहां कांग्रेस पार्टी को मौका मिलता है तो ये तीनों मांगें अविलंब लागू कर दी जाएंगी। इससे पहले हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की बात कही गई है।

केंद्र में पुरानी पेन्शन पर नहीं हो रहा विचार … 
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ये तीनों ही मुद्दे गर्म हैं। राज्य की भाजपा इकाई और खुद सीएम जयराम ठाकुर, पुरानी पेंशन के मुद्दे को अहम बता चुके हैं। उन्होंने एक अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकार किया था कि चुनाव में ये एक बड़ा मुद्दा है। कर्मियों ने इसके लिए प्रदर्शन भी किया है। जयराम ठाकुर का कहना था कि ये मुद्दा केंद्र के पाले में है। अगर वहां से हरी झंडी मिलती है तो प्रदेश में बिना कोई देरी किए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। दूसरी ओर केंद्र सरकार, संसद के प्रश्नकाल के दौरान कह चुकी है कि पुरानी पेंशन बहाली जैसा कोई एजेंडा सरकार की टेबल पर नहीं है। सरकार इस पर कोई विचार नहीं कर रही। कांग्रेस पार्टी की अंदरुनी राजनीति को समझने वाले लेखक और स्तंभकार रशीद किदवई कहते हैं, राहुल गांधी को पहले इन मसलों पर कुछ काम करके दिखाना होगा। दो राज्यों, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। वहां पर वे सभी प्रयोग किए जा सकते हैं, जिनका जिक्र राहुल गांधी कर रहे हैं। ये बात सही है कि इन दोनों राज्यों में पुरानी पेंशन लागू हो गई है। बाकी बचे दो ‘पी’ को भी देखना होगा। अब उन पर भी काम होता है तो जनता, राहुल पर भरोसा कर सकती है।  

अब होगा राहुल के थ्री ‘पी’ का ट्रायल … 
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में राहुल के थ्री ‘पी’ का ट्रायल है। इन दोनों राज्यों में सरकारी एवं संविधा कर्मियों की भारी तादाद है। यहां पर लोगों ने उनकी बातों पर विश्वास कर कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे दिया तो उसके बाद 2024 में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन बहाल कराने के लिए रक्षा असैनिक कर्मचारी संगठन ‘अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ’ (एआईडीईएफ) के महासचिव और जेसीएम ‘स्टाफ साइड’ के सदस्य सी श्रीकुमार कहते हैं, पुरानी पेंशन तो सरकार को लागू करनी होगी। 2024 तक यह मुद्दा केंद्र ही नहीं, बल्कि राज्यों में भी प्रभावी तरीके से फैल चुका होगा। अगर पुरानी पेंशन दोबारा से लागू नहीं की गई तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। ये कर्मियों का हक है। उन्होंने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है।  

पुरानी पेन्शन के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा … 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं। एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड ’50’ का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है। पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा।  

समय पर पक्की नौकरी भी देश में एक बड़ा मुद्दा है …  
देश बचाओ अभियान के अंतर्गत गठित ‘जन आयोग’ द्वारा रोजगार एवं बेरोजगारी की स्थिति पर बीते दिनों पेश हुई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक सेक्टर, केवल चार फीसदी रोजगार देता है। देश में 15 से 29 साल की आयु वाले वर्ग को बेरोजगारी घेर रही है। लंबे समय तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होती और युवा ओवरएज हो जाते हैं। शिक्षित बेरोजगारी बढ़ रही है। युवा, सरकारी क्षेत्र से नौकरी की अधिक उम्मीद लगाए बैठा है। पब्लिक सेक्टर, जो केवल चार फीसदी रोजगार देता है, वह बेरोजगारी की समस्या को हल नहीं कर सका। सरकारी क्षेत्र में लंबे समय तक खाली पड़े पद नहीं भरे जाते हैं। सांगठनिक क्षेत्र, छह फीसदी वर्क फोर्स को रोजगार दे सकता है, लेकिन 94 फीसदी असांगठनिक क्षेत्र की ओर किसी का ध्यान नहीं है। सांगठनिक क्षेत्र में लोगों को रोजगार देने की दर 3.32 प्रतिशत से 2.47 पर पहुंच गई है। रशीद किदवई बताते हैं कि अभी युवाओं में सरकारी नौकरी को लेकर ज्यादा रूझान है। अगर कांग्रेस पार्टी, युवाओं और कर्मियों के मुद्दे पर कोई उदाहरण सेट करती है तो उसे चुनावी फायदा मिल सकता है। हालांकि यहां पर केवल वादा या भाषणबाजी से काम नहीं चलेगा। धरातल पर कुछ करके दिखाना होगा। दो चुनावी राज्यों में राहुल गांधी के वादे का ट्रायल होना है। राहुल उसमें पास होते हैं तो निश्चित तौर पर वे 2024 में युवाओं और कर्मियों का समर्थन मिलने की उम्मीद कर सकते हैं।